Thursday 22 November 2018

Online or offline

Online or offline



तू भी ओनलाइन हे ओर में भी ओनलाइन हूं।
बस बातें नही है रही ।
 न जाने क्यूं तू चुप है।
ऐ केसी नाराज गी है ।
तो फिर क्या फ़ाई दा ओनलाइन रेह ने का।
जो तू जे बात ही नहीं कर नी तो।
न जाने क्यूं तुज क्या हुआ है।
क्यू तू पास हो कर भी दूर हो।
क्यू मूजे ही हर बार एमएसजी कर ना पड़ ता है।
जो तू एमएसजी करे गि तो तेरा अभिमान नहीं टूट जाएं गा।
क्यू मजे ही इंतजार करना पड़ता है तेरा।
क्या तू भी मेरे एमएसजी का इंतजार कर रही है।
तो फ़िर तेरा मेरा ओनलाइन रे हने का क्या फायदा " सनम" ।
बस तेरा ओनलाइन देख कर ही खुश है।
पर ई ख़ुशी और भी बढ़ जाती जो तेरा एमएसजी आ जाता।
सुनो री सखी क्या कर रही हो।
तेरे एमएसजी के इंतजार में ओनलाइन होते होते थक चुका हूं।
आब मजे ऑफलाइन कर दे।
सरीफ एक एमएसजी की तो बात है।
सुनो री सखी ई इंतजार बहुत हूं आ।

इसी लिए माही के गए नहीं रही ओनलाइन ओर नहीं ऑफलाइन।
करो इंतजार सखी के ऑन होने कारी उन के ऑन होते - होते सयाद में ऑफ न हो जावू।

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