Sunday 4 November 2018

रोशनी के संग

के से तेरा शुक्रिया करू, ओ रोसनी।
आज तुने मुजे पूरा कर दिया।
जो कामी थी , वो तूने पूरी की रोशनी।
मुजे उजाला दे कर , खुद अंधेरों में चली गई।
ओ रोशनी , वापस आज तेरे बीन जिंदगी अधूरी सी है।
वापा मुजे मेरी रोशनी से मिला दो कोयी।
तू वापस आज , अब अंधेरों से डर लगता है।
न जाने क्यूं अब अपने आप को देखे नहीं पता।
यार्र वापस आजा ओ

रोशनी ने उजालों से मिला दीया।
तेरा शुक्रिया के से करू तेरा।
तेरे आने से मेरा अंधेरा दूर कर दिया ।
केस शुक्रिया करू तेरा।
माफ़ कर दे यारा में वो खुशी न दे सका ।
तेरी ख़ुशी के बदले तुजे दुख ही दीया।
माफ़ कर दे यारा।
पर तू वापस आजा मेरी रोशनी ।
तेरे जाने से जे से रात- दिन में कोय फर्क ही नहीं ।
आजा वापस एक बार फिर से वही मील ते है जहा।
पहली बार मिले थे ।
फिर से एक बार मील जा वही मोड़ पे जहा मीले थे।
आजा फिर से वेसे ही बात कर ते हे जैसे ,
पहली बार बात की थी।
फिर वैसे ही वापस मिल ते हे जैसे पहली बार मिले थे।
तेरी रोशनी के बिना में अधूरा हूं।
वापा स मील जा वैसे ही जैसे चांद को रात का इंतजार रहे ता है।
वे से ही मील जा वापस यारा।
तेरा बिना जिंदगी जे से रेगिस्तान में प्यासे को पानी वैसे तेरे बिना जिंदगी आधुरी है।

इसी लिए "माही" के गए सुनो री रोशनी ।
आवो री रोशनी वापस एक हो जाय ।

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